Thursday 26 March 2009

जलपरियाँ वन्स मोर

शफ्फाफ परों वाली रहमदिल परियों के किस्से फ़क़त नानी-दादी के किस्सों तक महदूद हैं मगर औरत के धड वाली मछली के क़िस्से तो मर्द जहाज़ी ही हज़ारों बरस से सुनते-सुनाते आए हैं । जलपरी का पहला क़िस्सा ईसा से हज़ार बरस पहले सीरिया की फोक लोर से आया बताया जाता है। आज जलपरी के बारे में जो इमेज मौजूद है वो काफ़ी कुछ हान्स क्रिश्चियन अन्देर्सों नाम के एक डेनिश अफसानानिगार के तसव्वुर की देन है। बहरहाल नेपाल , भूटान और अफगानिस्तान जैसे अभागे , समंदर से कटे हुए मुल्कों के अलावे कोई ऐसा देश नहीं है जहाँ जलपरी के क़िस्से मौजूद न हों । ग्रीक अफसानों में इन्हें सायरन कहा गया है। कहते हैं इन्हें इंसानों से बड़ी मोहब्बत होती हैऔर ये उन्हें अपने साथ पानी के भीतर ले जाने को उतावली होती हैं, मगर इसी चक्कर में इंसानों की जान चली जाती है । ऐसा भी कहा जाता है के ये बहुत अच्छा गाती हैं और जहाज़ियों को लुभा कर उन्हें डुबा डालती हैं । अरब के मल्लाह मानते हैं के अगर समंदर के बीच किसी औरत की आवाज़ में ये सुनाई दे के ''..किनारा आ गया'' तो समझो कोई जलपरी आने वाली मुसीबत से आगाह कर रही है । उधर दिमाग के डाक्टरों की राय ये है के समंदर में नाविकों को महीनों औरतों से दूर रहना पड़ता है इसीलिए जलपरी उनके दिमागी फितूर के सिवा कुछ नहीं। अब जो भी है साहब हम तो जलपरी से खौफ खाते हैं और इसी मारे साहिलों पे जाने से बचते हैं और बस यही मनाया करते हैं के हमारे पहाडी दोस्त अशोक पांडे हमें अब बुलाएँ के तब बुलाएँ । पहाडों पे ऐसी बलाओं के चांस कम ही बताये जाते हैंगे । क्यों जी आपकी क्या राए है ?

7 comments:

  1. ek choti si pyari si post ......bahut khoob

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  2. भई हमें तो डाक्टरों वाली ही बात ज़्यादा सही लगे है.

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  3. मन ही मन में लड्डू फूटें...

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  4. मुनीस भाई

    पहाड़ पर आना तो जब चाहें कर लेवें अलबत्ता मध्य हिमालय की नन्दादेवी-पंचचूली की चोटियों के बीच ट्रैकिंग-माउन्टेनियरिंग के लम्बे सफ़रों में हमें आंचरी नाम की ऐसी ही ख़ूबसूरत बलाओं के मुताल्लिक इतने सारे रूमानी-रूहानी (रूमानी जायदै) अफ़सानात सुनने को मिला करते थे कि कई दफ़ा तो ये कैने का मन हुआ कि आन दै भई आन दै. किस्मत ने चान्स ना दिया.

    चलिये किसी समुन्दर पे निकल लिया जाए अब की बग़ैर चप्पू वाली नाव समेत. देखें किसी जलपरी के दिल में जास्ती नईं तो कुछ तो निकलियावे हमारे वास्ते!

    क्या कहते हैं?

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  5. जे ब्बात असोक भाई ! अबके तीर ऐन निसाने पै बैठो , अरे जई कारन हमने जे पोस्ट दुबारे चेपी के आपसे वो दूर हिमाला -जात्रा के हाल लिए जांवें !!

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  6. जलपरी होगी तो जलपरा भी तो कहीं होगा . और रही पहाड़ की बात वहां तो येती मिल सकता /सकती है

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  7. Dear Dheeru bhai,
    Mermen or jalpare are also there in folklores of sea ,but they are believed to be ugly and and indifferent to humans . Even mermaids or jalpareez don't like them much and prefer humans.Regards.
    munish

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