Friday, 15 August 2008
मयखाने में देशप्रेम वगैरह....
देश प्रेम का मौक़ा ,रसम,दस्तूर सभी कुछ चल्लया है जी आजकल ,सीज़न है साब । ऐसे में देश- भगती की रौ में सबसे ज़ियादे जो गीत हम गुगुनाया किए वो फिलिम 'काबुलीवाला' का है जिसे एक पठान अपने वतन अफगानिस्तान के लिए गा रहा है और इसमें' गंगा' ,'बसन्ती ',' या 'पुरवा -सुहानी' जैसा कोई देसी सिम्बल नहीं है मगर आपको भी कभी नहीं लगा होगा के ये किसी गैर-देश के लिए कोई विदेशी एथनिक सेंसिबिलिटी का आदमी गुनगुना रहा है । हिन्दोस्तान और अफगानिस्तान के बीच पाकिस्तान का काफ़ी लंबा इलाका पड़ता है मगर चाहे हमारे किस्से कहानियाँ हो या सिनेमा हो या एक बहुत आम पोपुलर परसेप्शन हो अफगानी हमें कभी भी गैर नहीं लगे । काबुलीवाला में पठान एक भारतवासी को चक्कू मार कर जेल जाता है मगर भारत का तमाम जनमत उसी के साथ रहा है चूंकि सब जानते हैं के वो कौल का पक्का ,साफदिल इंसान है । फ़िर 'ज़ंजीर' का शेरखान तो कभी सरपास हो ही नहीं सकता और ऐसे तमाम characters से हिन्दी सिनेमा भरपूर है जिनके बारे में कभी किसी ने ये नहीं पूछा के ये पठान तालिबान का है या नोर्दर्न-अलायंस का । क्या खूब ज़माना था साहब बहुत याद आता है हमको । सो आप भी याद करिए और गूगल सर्च में अफगानिस्तान का ताज़ा हाल बराए मिहिर्बानी पाकिस्तान भी देखिये । मन्ना डे का ये गाना खूब सुना होगा आज पढिये भी.
ऐ मेरे प्यारे वतन, ऐ मेरे बिछड़े चमन
तुझ पे दिल क़ुरबान
तू ही मेरी आरज़ू, तू ही मेरी आबरू
तू ही मेरी जान
(तेरे दामन से जो आए उन हवाओं को सलाम
चूम लूँ मैं उस ज़ुबाँ को जिसपे आए तेरा नाम ) - २
सबसे प्यारी सुबह तेरी
सबसे रंगीं तेरी शाम
तुझ पे दिल क़ुरबान ...
(माँ का दिल बनके कभी सीने से लग जाता है तू
और कभी नन्हीं सी बेटी बन के याद आता है तू ) - २
जितना याद आता है मुझको
उतना तड़पाता है तू
तुझ पे दिल क़ुरबान ...
(छोड़ कर तेरी ज़मीं को दूर आ पहुंचे हैं हम
फिर भी है ये ही तमन्ना तेरे ज़र्रों की क़सम ) - २
हम जहाँ पैदा हुए
उस जगह पे ही निकले दम
तुझ पे दिल क़ुरबान
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आजाद है भारत,
ReplyDeleteआजादी के पर्व की शुभकामनाएँ।
पर आजाद नहीं
जन भारत के,
फिर से छेड़ें, संग्राम एक
जन-जन की आजादी लाएँ।
स्वतंत्रता दिवस की बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.
ReplyDeleteमुनीश जी - पहले दो याद थे - तीसरा सफ़ा नहीं - बढिया याद दिलाया - साभार - मनीष
ReplyDeleteto u too my fellow countrymen. i think sameer ji and manish can appreciate this song more than us 'cos they in countries far away from india. jai hind.
ReplyDelete"क्या खूब ज़माना था साहब बहुत याद आता है हमको "...क्यों? क्या याद करने का हक बस आपको है...और मैंने कुछ लिखा तो "Jalebis n all that nostalgic crap ! gosh when will d' gals grow up!!"...who gives you this right to call my memories crap?and the right to question when will the girls grow up...और ये लड़के मयखाने से आगे कब सोचेंगे...एक पैग से ऊपर कब उठेंगे...मैं तो चलो २५ साल की हूँ...i still have my life ahead to grow up...पर आपको थोड़ा लेट नहीं हो गया...MAN,WHEN WILL YOU GROW UP?
ReplyDeleteबहुत अच्छी बात कही है आपने और ये गीत भी ख़ूब याद दिलाया. पिछले साल मन्ना डे से एक इंटरव्यू करते हुए जब मैंने पूछा कि उनका ख़ुद का गाया पसंदीदा गीत कौन सा है, तो उन्होंने इसी का नाम लिया. बोले कहा ही गया था कि इसे सब्ड्यूड रखना है. हमारा साउंड रिकॉर्डिस्ट शर्मा बोला-मन्ना आज तेरी आवाज़ फुस्स क्यों है! तो सामने खडे विमलदा सिगरेट फूँकते हुए बोले-नहीं नहीं ठीक है इस गाने को ऐसा ही होना है.
ReplyDeleteमन्ना डे ने यह भी कहा कि इसे और कोई नहीं गा सकता था.