Thursday 27 August 2009

अधूरी है जिन्ना पे बहस इस विडियो के बगैर ........

बस हो, रेल हो खुल्ला मैदान या जेल हो आजकल हर जगह चर्चे जिन्ना के हैंवो 'सविल रो लन्दन ' के किस टेलर -मास्टर के सिले सूट पहनते थे , उनके सिगार का ब्रांड कौनसा था , क्या वो कांग्रेस की किसी बैठक में कभी ज़मीन पे बैठे थे ?, शेयर मार्केट की क्या खूब समझ वो रखते थे और क्या वो सेकुलर थे ?...अगर हाँ तो कितने ?....वगैरह मुद्दों पे खूब लिखा पढ़ा जा रहा है और क्यूं हो आख़िर हमारे सबसे करीबी मुल्क के फादर ऑफ नेशन आप थेहम स्वभाव से ही चर्चा प्रिया हैं चूंकि चर्चा बिन खर्चा हो भी जाती हैऐसे में मेरे मन में अक्स़र जो सवाल उठता है वो ये की क्या हमारे राष्ट्र पिता के बारे में भी पाकिस्तानी कुछ सोचते हैं , अगर हाँ तो क्या ? आज़ादी मिले इतना अरसा तो हो ही चुका की इसे' दादा-लाइ जागीर' का रुतबा सरहद के दोनों तरफ़ बराबरी से मिल चुका है ,मगर उस दौर में जब ये मिली ही मिली थी तब क्या जज़्बे थे , क्या जोश था इसका अक्स हमें उस दौर के सिनेमा में मिलता है और साथ ही मिलते हैं ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब भी! मुझे तो मिले हैं आप भी क्लिकियाइये और देख मारिये जल्दी से बाउजी ! १९५६ में 'बेदारी' नाम की ये पिक्चर पाकिस्तान में रिलीज़ हुई थी और इसके तमाम गाने भारतीय फ़िल्म 'जागृति ' की धुनों को नक़ल कर के बनाये गए थेये तमाम गाने यू ट्यूब पे उपलब्ध हैं और बताते हैं की पाकिस्तानी बच्चों में किस कदर ज़हर भारत के विरूद्ध घोला गया है और क्यों पाकिस्तान कभी सुधर नहीं सकता !

14 comments:

  1. jabarjast ......... this is only possible due to advent of internet otherwise we common men didn't knew how it happened

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  2. सच्ची ज्यादातर समय मैंने भी यह सोचा है की ये देश कभी नहीं सुधर सकता... पाकिस्तान एक शुतुरमुर्ग की तरेह है गर्दन मिटटी में घुसाए हुए. सर बहार निकलना ही नहीं चाहता ...

    सेकंड लास्ट परा में जिंदा रहे पाकिस्तान भी कहा जा सकता था लेकिन नहीं 'इसलाम'
    इन्होने ठेका ले रखा है उनका...

    आपने अच्छी चीज़ खोज कर निकाली... शुक्रिया...

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  3. सच्ची ज्यादातर समय मैंने भी यह सोचा है की ये देश कभी नहीं सुधर सकता... पाकिस्तान एक शुतुरमुर्ग की तरेह है गर्दन मिटटी में घुसाए हुए. सर बहार निकलना ही नहीं चाहता ...

    सेकंड लास्ट परा में जिंदा रहे पाकिस्तान भी कहा जा सकता था लेकिन नहीं 'इसलाम'
    इन्होने ठेका ले रखा है उनका...

    आपने अच्छी चीज़ खोज कर निकाली... शुक्रिया...

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  4. साहब जी,
    हमारे यहाँ तो यह वीडियो खुली ही नहीं, इसलिए हम देख ही नहीं सके.
    लेकिन मैं जज्बातों को समझता हूँ.

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  5. @Neerajइसमें जज़्बात का कोई स्कोप नहीं बनता नीरज भाई, ये तो चीज़ ऐसी है की सुनके कहोगे अक दादा जी ठीक बोलते थे . कहीं और जा के खोलो , यू ट्यूब है ज़रूर चलेगी !

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  6. पाकिस्तान, दुनिया की छाती पर बैठा "खजेला कुत्ता" है, और कुछ नहीं…

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  7. bilkul sahi baat...

    sab kaam nakal se hi karte hain..
    ham jo karte hain uske 6 mahine baad pakistan se bhi vahi hone ka samachar mil jata hai... chahe atom bom ho ya koi missile ya fir koi weapon...

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  8. वाकई जहरीला है पाकिस्तान और नकलची तो शुरू से ही है।

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  9. अवाम में जहर तो मीडिया ही घोल रहा है अगर आपको भी इसी तरह की खबरें और गीत मिलेंगे तो कोई क्या कर लेगा, हाँ अच्छा लगना और प्रसिद्ध होना स्वाभाविक है क्योंकि उसमें पड़ोसी दुश्मन मुल्क के बारे में कहा गया है, भले ही हमारी कोई जाति दुश्मनी नहीं है इन पाकिस्तानियों से और न ही उन्हें हम जाति तौर पर जानते हैं, पर फ़िर भी हमारे मनों में नफ़रत भरी हुई है।

    अगर अवाम मिलना शुरु करती है तो ये नफ़रत आसानी से मिटाई जा सकती है परंतु उसी समय कुछ पाकिस्तानी खुरापाती लोग कुछ इस तरह की हरकत करते हैं जिनके पास सत्ता की ताकत है और ये सब अवाम का मिलना जुलना प्रेम बढाने के संदेश सब कुछ खत्म हो जाता है। जो इंसानी जज्बा रखते हैं वे कभी भी आपस में लड़ना नहीं चाहते हैं परंतु कुछ शैतान लोग ये सब सहन नहीं कर सकते क्योंकि इसी से तो उनकी रोजी रोटी चलती है।

    ये वीडियो तो एक छोटा सा उदाहरण है मुँबई ताज होटल के हमले के वक्त के वीडियो देखिये तो इन मीडिया और राजनेताओं की असलियत पता चलती है। इसे आप यूट्यूब पर ढूँढ़ सकते हैं।

    ॥ जय हिंद ॥

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  10. @विवेक रस्तोगी -- ये विडियो एक 'छोटा सा ' उदहारण नहीं है भाई. पाकिस्तान की तीन पीढियां यही गाते हुए बड़ी हुई हैं जिसमें बापू को दुश्मन बताया गया है और पाकिस्तान की कुल शिक्षा -दीक्षा ये है की हमने आज़ादी भारत से पायी है न की अंग्रेज़ों से . हमारे यहाँ किसी गीत में जिन्ना को दुश्मन नहीं कहा गया !

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  11. हजार हैफ ! कमीनों का चर्ख़ हामी है

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  12. इनसे और क्या उम्मीद कर सकते हो ?

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  13. अरे भाई वो भी इन्सान हैं। उनको भी घृणा करने का मन करता होगा। पड़ोसी से न करेंगे तो किससे करेंगे? :)

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    1. लेकिन हमें किसी ने न सिखाई ऐसी अदा इसे शुक्र कहें या कुफ्र कुछ समझ में आता नहीं है ।

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