बड़ी मीठी और तहज़ीब से लबरेज़ जुबाँ है साहब और खासकर तब जबकि आला दर्जे के दानिश्वर समझाने की
गरज से सीधी-सरल बहती सी अदा से बात रखते हों । अभी हाल में यूँ ही सायबराबाद के एक सफ़र में ये मोती
मिल गया । हुकूमते बरतानिया के ताव्वुन से चलने वाले बीबीसी और सरहद पार के आवाज़ टीवी की पेशकश है
। मैं तो सुन कर सन्नाटे में आ गया के मानो सिलड़ी का रायता छक लिया हो जग भर । क्या आपको भी ऐसा
ही कुछ-कुछ होता है ? अगर हाँ तो ऐ क़द्रदाने सुखन शर्मइयो नहीं , कह दीजो यहीं कमेंट के बक्से में ।
Aap Ki Kavita Achhi Lagi, Aap Bhaut Achha Likhte Hain, Main Thoda Aadhunikta Ki Kavita Bhi Padhana Chahata Hoon, Asha Hai Ki Aap Jaldi Hi Prastut Karenge.
ReplyDeleteThank You.
Thanks for sharing such a wonderful story
ReplyDeleteself publishing India