Saturday, 4 February 2012

बजरंग बाण

भूत- प्रेत, पिशाच, वेताल, जिन्न और ग्रहों की उल्टी चाल आदि तभी तक नहीं हैं जब तक उनसे पाला न पड़े । ईश्वर न करे कभी पड़े लेकिन कभी पड़ ही जाए तो इसका प्रेम पूर्वक पाठ एवम् श्रवण रक्षा कारी बताया गया है और ऐसा है भी । ये मेरा व्यक्तिगत अनुभव है सो आपसे बाँटना बनता है । खुद ना तो भगवद्-भक्ति के लायक हूँ , ना ही आचार-विचार शुद्ध है लेकिन केवल और केवल प्रभु की कृपा से गाड़ी चल रही है और ये कहने में कोई संकोच नहीं है । प्रभु श्री राम का नाम लेते हुए आनंद लें बंधुओं ।

5 comments:

  1. manish ji maja aa gaya sun kar aaj............bahut din baad hanumaan ji ka naam liya hai

    dhanywaad

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  2. बस एक कमेंट...खैर लंका फूँकने को एक हनुमान जी ही काफ़ी थे ।

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  3. जय वज्रांग बली! आलसियों के कमेंट आने में देर है अन्धेर नहीं :)

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  4. अरे वाह कभी ये ध्यान ही नहीं आया कि वज्रांग से ही बजरंग हुआ । धन्यवाद शब्द के सफ़र के लिए ।

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  5. BAJRANG BAN MUJHE BHUT PYARA H. BUT USKE KUCH SABD MUJHE PASAND NAHI. BHGVAN KO VINTI KARNA THEK H LEKIN UN PAR KISI KAM KE LIA JOR JABRDASTI KARNA GALT H.
    PLEASE UN LAINS KO NA PHDE JINME RAM JI KI SAPTH DILATE H.

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