भूत- प्रेत, पिशाच, वेताल, जिन्न और ग्रहों की उल्टी चाल आदि तभी तक नहीं हैं जब तक उनसे पाला न पड़े ।
ईश्वर न करे कभी पड़े लेकिन कभी पड़ ही जाए तो इसका प्रेम पूर्वक पाठ एवम् श्रवण रक्षा कारी बताया गया है और ऐसा है भी । ये मेरा व्यक्तिगत अनुभव है सो आपसे बाँटना बनता है । खुद ना तो भगवद्-भक्ति के लायक हूँ , ना ही आचार-विचार शुद्ध है लेकिन केवल और केवल प्रभु की कृपा से गाड़ी चल रही है और ये कहने में कोई संकोच नहीं है । प्रभु श्री राम का नाम लेते हुए आनंद लें बंधुओं ।
BAJRANG BAN MUJHE BHUT PYARA H. BUT USKE KUCH SABD MUJHE PASAND NAHI. BHGVAN KO VINTI KARNA THEK H LEKIN UN PAR KISI KAM KE LIA JOR JABRDASTI KARNA GALT H. PLEASE UN LAINS KO NA PHDE JINME RAM JI KI SAPTH DILATE H.
manish ji maja aa gaya sun kar aaj............bahut din baad hanumaan ji ka naam liya hai
ReplyDeletedhanywaad
बस एक कमेंट...खैर लंका फूँकने को एक हनुमान जी ही काफ़ी थे ।
ReplyDeleteजय वज्रांग बली! आलसियों के कमेंट आने में देर है अन्धेर नहीं :)
ReplyDeleteअरे वाह कभी ये ध्यान ही नहीं आया कि वज्रांग से ही बजरंग हुआ । धन्यवाद शब्द के सफ़र के लिए ।
ReplyDeleteBAJRANG BAN MUJHE BHUT PYARA H. BUT USKE KUCH SABD MUJHE PASAND NAHI. BHGVAN KO VINTI KARNA THEK H LEKIN UN PAR KISI KAM KE LIA JOR JABRDASTI KARNA GALT H.
ReplyDeletePLEASE UN LAINS KO NA PHDE JINME RAM JI KI SAPTH DILATE H.