Monday 5 July 2010

पहाड़ संबंधी कुछ फुटकर बातें

"पर्वताः दूरतः रम्या" --विसर्ग या , सम्बन्धी अशुद्धि के बावजूद इस संस्कृत कहावत का अर्थ है कि पर्वत दूर से ही रमणीय लगते हैं ! कुमाओं और गढ़वाल के ज़्यादातर बाशिंदे मैदानी मूल के हैं ! भारत में हिमालय से सबसे ज़्यादा मोहब्बत बंगाली करते हैं और दुनिया में स्केंडिनेवियाई देशों के । ४ अगर सड़क बनाने वाले बिहारी ,नेपाली मज़दूर हों तो हिमालय में यत्र-तत्र -सर्वत्र बिखरे सब हनीमून होटल बंद हो जाएँ सब होटलों का मल -मूत्र पवित्र नदियों में ही गिरता है देश भर में पहाड़ी इलाकों के कचरा प्रबंधन की कोई सशक्त नीति नहीं है और ये कूड़े के ढेर बनते जा रहे हैं पानी पहाड़ों में दुर्लभ हो रहा है वक्त धीरे चलता है वहां इसीलिए कहावत बनी ' पहाड़ जैसा दिन' । कई जगह पहाड़ों की वीरानगी पागल बना देने वाली होती है १० हिमाचल की बजाय खाना उत्तराखंड का बढ़िया होता है ११ सड़क,सुविधाएं हिमाचल की बढ़िया होती हैं १२ चरस उत्तराखंड में दैनिक जीवन का अंग है तो हिमाचल में अंतर राष्ट्रीय व्यापार १३ शराब पीने का सलीका लद्दाख में है १४ आदमी काम कम करता है चूंकि उसे आदमी नुमा काम कम मिलता है१५ नेपाल के बाद माओवाद उत्तराखंड को खाने की ताक में है । १६ कश्मीर के बारे में बात अब फ़िज़ूल है , सिर्फ लात बहुत मौज़ूं और माकूल है । . ......आपका क्या ख्याल है ?

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