मैंनेबतौरब्लौगरगंभीरविषयोंपरलिखनेसेशुरुआतकी , मग़रब्लौग-जगत का टोटलमिज़ाज और कैफ़ियत टटोलनेकेबादअपनी खुशी से यू-ट्यूबपेउतरआयाऔरआजमैं"सफल ब्लौगर''न सही काफीखुशब्लौगर ज़रूर हूँ । मैं ब्लौग पे मस्त-मस्त गाने बजाता हूँ और जो ऐसा नहीं करते उनपे तरस खाता हूँ । असल में ब्लौगिंग मनोरंजन के एक नए साधन से बढ़ कर कुछ नहीं और ये प्रिंट की जगह कभी नहीं ले सकती . ज़रादेखियेशुरूमेंमैंक्यालिखताथा ! 'आग का दरिया' शीर्षक से प्रकाशित ये पोस्ट 13 अगस्त ,२००८ की है । मैंने जो तब कहा था वो भारत के रणनीति -विशेषज्ञ अब खुल कर कह रहे हैं .........
'आगकादरया' येहमारेयहाँकीमशहूरनाव्लिस्टकुर्तुलुनआपाकेनाविलकाभीनामहैजिसेएकज़मानेमेंगियानपीठअवार्डसेनवाज़ागया । नाविलमेंज़ाहिरहै 'आगकादरिया ' एकसिम्बोलिकइमेजेरीहै ,मगरएकअसलआगकादरयाभीहैजिसकाकेनामदर्याए -सिंधहैजोइसनक़्शेमेंएकनीलीलकीरखेंचकेदिखायागयाहै । अगरआपअक़लकेअंधेनामनैनसुखनहींहैंतोसाफ़समझसकतेहैंकेयेपाकिस्तानकीलाइफलाइनक्योंहै ? येपाकिस्तानी नक्शा, जिसमेकेपड़ौसीकब्ज़ायेहुएकश्मीरकोअपनेवालिदकीजागीरदिखाताहै, हमेंयेसाफ़बताताहैकेबाकीकश्मीरपेउसकीनीयतडोलनेकीअसलवजेहक्याहैऔरतमाम ''शामेग़ज़ल '' और ''शब्ऐकव्वालियों '' ,जिनकेफ्री- पासझांपनेकेलिएदोनोंतरफ़केलोगकाफ़ीबेचैनरहतेहैं, सेकोईसुधारक्योंनहींआसकता । सरकारी खर्चे से लोगपाकिस्तान(जो कि सिर्फ लाहौर होता है ) घूमने के बाद लौटकर लिखतेहैंबिल्कुलवहीलोग ..,वहीखान -पानऔरवहीपहेरनाओढ़नाऔरतोऔरवहीगालियाँभी ,हैरतहैफिरभीक्यूंलड़तेहै? येपोस्टउन्हींकेलिएहै ।
ऐसा क्यूँ कहते हैं ! गाना सुनने वाले क्या गंभीर नहीं होते ? सरकारी खर्चे से अमन का ठेका छोड़ा जाये तो उस अमन की उम्र क्या होगी!!! उसमें जल्दी गड्ड़े और खड्ड़े दोनों होंगे।
@नीरज -- इसीलिए वो कश्मीर को हड़पना चाहता है . दरअसल सारी नदियाँ यहीं से वहां जाती हैं और ये सब सिंध में मिल कर समंदर में गिरती हैं . अब भला बताइए सिंध क्या कोई देने की चीज़ है ?' सिन्धु नदी संधि' के तहत पानी तो उसे बराबर मिल ही रहा है !
In order to be serious, it's not at all necessary to look and sound serious. In fact, saying serious things in a lighter vein leaves a stronger impact than saying serious things with a long face and serious manner. I think you are arriving at the right blend. So, keep going.
किस भ्रम हैं जनाब कि आप भी गंभीर हुआ करते थे .............करते थे से आपका मतलब । कहिए कि थे हैं और रहेंगे ही । आप कभी बिना गंभीर हुए रह ही नहीं सकते । पिछली सारी पोस्टें पढी हैं मैंने और आपकी एक अलग ही शैली और दिलचस्प विषय है ..बिल्कुल मौलिक । आज भी देखिए न आपने इस पोस्ट में कितनी गंभीरता से सब कुछ कह डाला । हां भारत पाक की खींचतान के पीछे उन पांच नदियों का पानी को हथियाने की नीयत महत्वपूर्ण मुददा रहा है
मैने पडा था ---------- सन्सार के होट्ल / मयखाने मे कोई किसी को ’ सर्व ’ नही कर सकता / अप्नी मदद आप करनी होगी / हम लोग तो सिर्फ़ अच्छे वेटर की तरह लोगो के साम्ने ट्रे रख सक्ते है, जिस्की जो तबीयत हो,खुद ही उटा ले और खाता रहे / ----------
ऐसा क्यूँ कहते हैं ! गाना सुनने वाले क्या गंभीर नहीं होते ? सरकारी खर्चे से अमन का ठेका छोड़ा जाये तो उस अमन की उम्र क्या होगी!!! उसमें जल्दी गड्ड़े और खड्ड़े दोनों होंगे।
ReplyDeleteमतलब पाकिस्तान को अपनी जड यानी दरिया ए सिंध को सलामत रखने के लिये कश्मीर कब्जाना पडा।
ReplyDelete"धाँसू पोस्ट...जनाब"
ReplyDelete@नीरज -- इसीलिए वो कश्मीर को हड़पना चाहता है . दरअसल सारी नदियाँ यहीं से वहां जाती हैं और ये सब सिंध में मिल कर समंदर में गिरती हैं . अब भला बताइए सिंध क्या कोई देने की चीज़ है ?' सिन्धु नदी संधि' के तहत पानी तो उसे बराबर मिल ही रहा है !
ReplyDeleteIn order to be serious, it's not at all necessary to look and sound serious. In fact, saying serious things in a lighter vein leaves a stronger impact than saying serious things with a long face and serious manner. I think you are arriving at the right blend. So, keep going.
ReplyDeleteअभी भी ब्लोग्गर ही लग रहे हो
ReplyDeleteकिस भ्रम हैं जनाब कि आप भी गंभीर हुआ करते थे .............करते थे से आपका मतलब । कहिए कि थे हैं और रहेंगे ही । आप कभी बिना गंभीर हुए रह ही नहीं सकते । पिछली सारी पोस्टें पढी हैं मैंने और आपकी एक अलग ही शैली और दिलचस्प विषय है ..बिल्कुल मौलिक । आज भी देखिए न आपने इस पोस्ट में कितनी गंभीरता से सब कुछ कह डाला । हां भारत पाक की खींचतान के पीछे उन पांच नदियों का पानी को हथियाने की नीयत महत्वपूर्ण मुददा रहा है
ReplyDeleteमैने पडा था
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सन्सार के होट्ल / मयखाने मे कोई किसी को ’ सर्व ’ नही कर सकता /
अप्नी मदद आप करनी होगी /
हम लोग तो सिर्फ़ अच्छे वेटर की तरह लोगो के साम्ने ट्रे रख सक्ते है, जिस्की जो तबीयत हो,खुद ही उटा ले और खाता रहे /
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