Monday, 14 July 2008
लो जी आ गयी तस्वीरें !
दिल्ली में इन दिनों जारी OSEAN FILM FESTIVAL हर बार की तरह इस बार भी न सिर्फ़ नायाब फिल्मों के लिए बल्कि पुराने ज़माने के फिल्मी पोस्टर्स की नुमाईश के लिए मसला-ऐ- गुफ्तगू बना हुआ है । लन्दन से तालीमयाफ्ता इक रईस पारसी नौजवान नेविल तुली की दिमागी खुराफ़ात का शानदार नतीजा है ये फेस्टिवल जो यकीनन अपनी 'नो नॉन सेंस अप्रोच' के चलते सरकारी गोवा फ़िल्म फेस्ट को मुंह चिढाने लगा है । बहरहाल , इस बार यहाँ फिल्मी पोस्टर्स के साथ साथ कुछ माडर्न आर्ट के नमूने, जापानी मार्शल हेल्मेट्स और सय्याहों यानि सैलानियों को लुभाने के लिए टूरिज्म महकमे की जानिब से जारी कुछ बहुत पुराने पोस्टर्स भी दिलकशी का मंज़र बने हुए हैं । दरअसल ओसीआन यूरोपियन आर्ट के आक्शन हाउसेस की तर्ज पर उभरने का इरादा रखता है और मुंबई में शम्मी कपूर से बहुत बड़ी ज़मीन का मालिकाना हक़ हासिल करके वहां ओसीआनामा के नाम से इक ऐसे प्रोजेक्ट पे काम कर रहा है जहाँ दुनिया भर की और सभी ज़ुबानों की बेहतरीन फिल्में पूरे साल देखी जा सकें और साथ ही पेंटिंगस् और फनकारी के दीगर मास्टर- पीसेज़ की खरीद फरोख्त का धंधा भी इत्मीनान से खुल कर कानूनी तौर पे बिल पेमेंट के साथ वहां हो । मैंने वहां जो तस्वीरें देखीं वो बज़रिये कैमरा कुछ ऐसी थीं :
मयखाने में अभी ये पोस्टर बाज़ी चालू रहेगी !!
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ये आख़री वाली 'गुडबाई बाफ़ाना' से मेरा कमेन्ट खोज लें ... 'गुडबाई' हटा के ... नहीं समझे आप? ... अरे जनाब बोफ़्फ़ाइन!
ReplyDeleteDekh li janab, dhanyawaad.
ReplyDeleteइनको दिल्ली और बंगलौर लाने का भी कुछ उपाय बताओ भाई।
ReplyDeletevery good
ReplyDeletebahut khoob ji
ReplyDeleteसाडा इंडिया साडा फ़ेस्टीवल !! लगे रहो जनाब अच्छी है मजेदार भी !!
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