Thursday, 17 June 2010
हिंदी सिनेमा के अमर मोटर साइकिल गीत (अंतिम )
आजकल मोटर साइकिल गीत फिल्मों में दिखने बंद हो गए हैं चूंकि मोटर साइकिल पे गीत गाने की अजीब सी हरकत को विश्वसनीयता से अंजाम दे सकने वाले हीरो भी बनने बंद हो गए हैं या फिर बूढ़े हो गए हैं । दूसरी वजह है हेलमेट की अनिवार्यता । पहले बड़े-बड़े शहरों में भी हेलमेट न लगाने पर चालान नहीं होता था , चालान अब भी नहीं होता मग़र १००-५० देके ही जान छूटती है सो ऐसा गीत फिल्माया भी जाये तो लोग कहेंगे कि देखो पुलिस वाले की मुट्ठी गर्म करके भी गा रहा है और हीरो की मर्दानगी पे लोग शक करेंगे ।
दिल्ली में तो अगली-पिछली दोनों सवारियों के लिए ज़रूरी है हेलमेट । जब इस बारे में कानून बना तो महिलाएं भी इसके दायरे में आती थीं मग़र सिक्ख महिलाओं ने इसे धर्म-विरुद्ध बता कर मानने से इनकार कर दिया और फिर सभी महिलाओं को हेलमेट से छूट दे दी गयी । यानि, पिछली सीट पे यदि पुरुष है तो उसके लिए हेलमेट अनिवार्य है मग़र यदि उसकी जगह कोई औरत है तो उसके लिए हेलमेट अनिवार्य नहीं है यानि पुरुष की जान को महिला से ज़्यादा कीमती तो ख़ुद कानून मानता है और कोई महिला संगठन कुछ नहीं कहता . बहरहाल, हिंदी पिक्चरों का सबसे मशहूर मोटर साइकिल गीत ये है ---
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आपने सचमुच हमारा फेवरेट गीत सुनवा कर मन खुश कर दिया।
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भविष्य बताने वाली घोड़ी।
खेतों में लहराएँगी ब्लॉग की फसलें।