tag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post4241559766120411593..comments2023-11-05T03:16:15.891-08:00Comments on मैख़ाना: कुत्ते को घी हज़म नहीं होता उर्फ़ ब्लौगवाणी की मौतमुनीश ( munish )http://www.blogger.com/profile/07300989830553584918noreply@blogger.comBlogger32125tag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-12703637535828845402010-06-28T17:32:22.232-07:002010-06-28T17:32:22.232-07:00प्रसिद्धि का घी हजम नही कर पाई और मर गई ब्लागवाणी ...प्रसिद्धि का घी हजम नही कर पाई और मर गई ब्लागवाणी , एक एंगल यह भी है सोचने का ।DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-2841488303909891682010-06-28T10:03:05.662-07:002010-06-28T10:03:05.662-07:00ये कहानी कोई नई नहीं है मुनीश। एक ज़माने में काफी ...ये कहानी कोई नई नहीं है मुनीश। एक ज़माने में काफी समय तक अच्छा काम करने वाले नारद को भी ऐसे ही कुछ कारणों से समाधि लेनी पड़ी थी। <br /><br />इस तरह के एग्रग्रेटरों के बंद होने से सबसे ज्यादा नुकसान नए ब्लॉगरों का होता है। पर अप्रत्यक्ष रूप से ये भी देखने को मिल रहा था एग्रग्रेटर की ये चौपालें धींगा मुश्ती का अखाड़ा बन गई थीं। क्या नए क्या पुराने सबने अपने वर्चस्व की लड़ाई के लिए ब्लॉगवाणी को हल्दीघाटी का मैदान बनाया हुआ था। ये स्थिति भी हिंदी ब्लागिंग के लिए कोई अच्छा प्रभाव नहीं छोड़ रही थी।<br /><br />इतने सारे मसलों में किसी का भी पक्ष लेने में गाली मालिक को ही मिलती है। आखिर क्यूँ कोई बिना किसी आर्थिक लाभ के अपना इतना समय इन सब बातों में झोंकेगा। वैसे भी एक सीमा से ज्यादा ब्लॉगों की संख्या हो जाने के बाद कोई एग्रग्रेटर बिना विषय वर्गीकरण के शायद ही प्रभावी हो पाता है।<br /><br />मेरे ख्याल से अब एग्रग्रेटरों का विकास विषय विशेष के हिसाब से होना चाहिए। ब्लागरों को अपने कांटेंट पर ध्यान देना चाहिए ताकि अधिक से अधिक पाठक गुगल सर्च, इ मेल सब्सक्रिप्शन, फीड सब्सक्रिप्शन आदि से आ सकें ताकि एग्रग्रेटर पर उनकी निर्भरता कम हो।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-72976247393223574862010-06-28T08:30:19.220-07:002010-06-28T08:30:19.220-07:00शुक्रिया मैथिली जी एंड सिरिल<a href="http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2010/06/blog-post_28.html" rel="nofollow">शुक्रिया मैथिली जी एंड सिरिल</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-12602237983956253602010-06-28T06:13:08.065-07:002010-06-28T06:13:08.065-07:00ब्लॉगवानी का बंद होना सही में एक दुखद अध्याय है।ब्लॉगवानी का बंद होना सही में एक दुखद अध्याय है।RAJNISH PARIHARhttps://www.blogger.com/profile/07508458991873192568noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-61191997788204651602010-06-28T05:50:58.770-07:002010-06-28T05:50:58.770-07:00Bhai Cyril ki mehnat aur lagan ka qayal hun. Ummme...Bhai Cyril ki mehnat aur lagan ka qayal hun. Ummmed hai wo isey phir shuru kar hi denge.Haalanki badla hua roop mukjhe hazam nahin hua.इरफ़ानhttps://www.blogger.com/profile/10501038463249806391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-58988794149679457902010-06-28T05:48:18.079-07:002010-06-28T05:48:18.079-07:00Blogvani ko punah arambh kiya jaye. Abhi to yahi m...Blogvani ko punah arambh kiya jaye. Abhi to yahi maang karunga.Radioactivehttps://www.blogger.com/profile/02666503825062113888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-3915820201286570182010-06-28T04:39:58.294-07:002010-06-28T04:39:58.294-07:00ब्लोगवाणी का एक स्थान , एक महत्व तब भी था जब ये चल...ब्लोगवाणी का एक स्थान , एक महत्व तब भी था जब ये चल रही थी और अब भी है जब ये बंद हो गई है (स्थाई या अस्थाई , पता नहीं ) क्योंकि निर्विवाद रूप से हिंदी ब्लोग पोस्टों पर सबसे ज्यादा पाठक भेजने का काम इसी ने बखूबी किया था । और ये कमी तो खलेगी ही ।अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-46449011924525976172010-06-28T01:51:52.428-07:002010-06-28T01:51:52.428-07:00ब्लागवाणी को बन्द कराने के पीछे एक साजिश है इसे बन...ब्लागवाणी को बन्द कराने के पीछे एक साजिश है इसे बन्द कराने के लिये दो लाख रु.का ठेका दिया गया था कुछ ब्लागरों ने मिलकर अभियान चलाकर इसे बन्द कराया है इसमे कौन कौन ब्लागर का हाथ है शीघ्र मालुम चल जायेगा।पापा जीhttps://www.blogger.com/profile/14322780361561853928noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-12512149124320499692010-06-28T00:32:57.299-07:002010-06-28T00:32:57.299-07:00ना तो हजम होता है, ना ही होगा।ना तो हजम होता है, ना ही होगा।नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-24285680544241556582010-06-28T00:25:40.999-07:002010-06-28T00:25:40.999-07:00काजल जी की बात ठीक है ....इतनी अधिक संवेदनशीलता इत...काजल जी की बात ठीक है ....इतनी अधिक संवेदनशीलता इतने साल बाद ठीक नहीं है .खास तौर से जब ....आप यहां इतना वक़्त गुजार चुके हो .... कुछ .रोने पीटने वाले लोगो को नज़र अंदाज करना ही भीतर है......क्यूंकि उनकी प्रवति रचनात्मक नहीं है ....ना कभी होगी ... ये ता उम्र रोते पीटते रहेगे ... आप चाहे उन्हें कितना ही बेहतर क्यूं न दे दो...... इससे बेहतर ऑप्शन तो ये था ...जिन्हें ब्लोग्वानी पसंद नहीं वे इसे छोड़ दे ....काहे को इससे चिपके बैठे हैडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-37067871782502022142010-06-27T23:03:03.154-07:002010-06-27T23:03:03.154-07:00इसे स-शुल्क सुविधा बनाने की बाबत जब मैंने कहा तो ...इसे स-शुल्क सुविधा बनाने की बाबत जब मैंने कहा तो उत्तर यही मिला कि जब लोग फ्री-सर्विस को लेकर भी आधारहीन शिकायतों का पिटारा खोले रहते हैं तो पैसे देकर तो जाने क्या कर बैठें ? और कराओ चुनावी टंटे !मुनीश ( munish )https://www.blogger.com/profile/07300989830553584918noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-20873579626500361272010-06-27T22:47:04.006-07:002010-06-27T22:47:04.006-07:00@श्रीयुत मिश्र जी को मालूम हो कि नापसंद नापसंद खेल...@श्रीयुत मिश्र जी को मालूम हो कि नापसंद नापसंद खेल पर जब लोगों ने यह कहना आरम्भ किया कि इसमें सिस्टम का क्या दोष तो मैंने ही ब्लोग्वानी के लिए यह कहा कि वह धृतराष्ट्र हो गयी है ..मैंने गिरिजेश जी और अन्य से भी कह कह कर खुद के ब्लॉग पोस्ट पर भी प्रतिक्रया स्वरुप नापसंद के चटके लगवाये और दूसरों पर लगाये भी -किसी भी सिस्टम के दुरुपयोग के समय उसकी काट होनी चाहिए ...सब कुछ भस्मासुरों पर क्यों छोड़ा जाय -ब्लागवाणी की जनोपयोगी मुहिम निश्चित रूप से असंदिग्ध थी ..पर हर अच्छी चीज एक न एक दिन चली ही जाती है -हमें इतनी अपेक्षा क्यों करनी चाहिए ....और मुफ्त का माल उड़ाने की प्रवृत्ति से भी बाज आना चाहिए ..अब वक्त आ गया है जब सशुल्क संकलक हमारे बीच आयें -तब शायद हम उनकी कीमत समझ पायेगें और अपने व्यवहार को भी नियंत्रित करेगें !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-40179258118664088072010-06-27T22:29:26.533-07:002010-06-27T22:29:26.533-07:00सिस्टम का दुरूपयोग करो.. और सिस्टम को गाली दो....
...सिस्टम का दुरूपयोग करो.. और सिस्टम को गाली दो....<br /><br />तुम हो तो गाली देगें और चले जाओगे तो याद करेंगे.. क्या प्यार है...<br /><br />बंद करे न करे उनका फैसला है... मुझे लगता है.. संवाद तो हो ही सकता है....रंजनhttp://aadityaranjan.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-73663331741746513712010-06-27T22:22:00.645-07:002010-06-27T22:22:00.645-07:00मरी कुतिया को कोई लात नहीं मारता.
---Da...मरी कुतिया को कोई लात नहीं मारता. <br /> ---Dale Carnegie <br /><br />यानि आप अगर प्रासंगिक हैं और महत्त्व रखते हैं तो आपकी आलोचना होगी ही, नहीं हैं तो कोई कोई गाली देने लायक भी नहीं समझेगा.Anonymoushttp://(optional)noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-21030562451429374802010-06-27T22:19:02.063-07:002010-06-27T22:19:02.063-07:00सही कहा
और ब्लागवाणी का बन्द होना अफसोसजनक है।
प्...सही कहा<br />और ब्लागवाणी का बन्द होना अफसोसजनक है।<br /><br />प्रणामअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-71975045236306002942010-06-27T22:03:37.271-07:002010-06-27T22:03:37.271-07:00वर्तमान परिस्थितियों में ब्लागवाणी का एकदम सही निर...वर्तमान परिस्थितियों में ब्लागवाणी का एकदम सही निर्णय… आपने मिसाल भी चकाचक दी है… :)Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-87877743774484017232010-06-27T21:53:02.901-07:002010-06-27T21:53:02.901-07:00"दुख हुआ ब्लोग वाणी के बन्द होने से...""दुख हुआ ब्लोग वाणी के बन्द होने से..."Amitraghathttps://www.blogger.com/profile/13388650458624496424noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-26614955706737667912010-06-27T21:50:02.663-07:002010-06-27T21:50:02.663-07:00ब्लागवाणी बंद करके सिरिल जी ने ठीक ही किया. नापसंद...ब्लागवाणी बंद करके सिरिल जी ने ठीक ही किया. नापसंद के खिलाफ आज बोलने वाले उन दिनों की याद करें जब चिट्ठाकारों ने ही नापसंद वाला आप्शन शुरू करवाया था. किसी भी पोस्ट को नापसंद करने का निर्णय लेखन के स्टैण्डर्ड को लेकर होना चाहिए था लेकिन गुटबाजी करनेवालों लोगों ने उसे व्यक्तिगत दुश्मनी साधने का हथियार बना लिया. उसके बाद कोई ब्लागवाणी को धृतराष्ट्र कह रहा था तो कोई यह कहते हुए चार लाइन की पोस्ट टिका देता था कि गालियों वाली टिप्पणियां ब्लागवाणी क्यों नहीं हटाता. क्या चाहते हैं ये चिट्ठाकार? कि वे जगह-जगह गन्दगी करते फिरें और ब्लागवाणी उसे साफ़ करता रहे?<br /><br />आपस में एक-दूसरे से लड़ेंगे, एक-दूसरे की पोस्ट को नापसंद करेंगे और दोष देंगे ब्लागवाणी को. बेशर्मी की हद है भाई.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-60834105448181118032010-06-27T20:54:20.632-07:002010-06-27T20:54:20.632-07:00पर यह अच्छा नहीं हुआ !!पर यह अच्छा नहीं हुआ !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-47091155992748134252010-06-27T20:27:58.870-07:002010-06-27T20:27:58.870-07:00The contact section of blogvani was disabled when ...The contact section of blogvani was disabled when it stopped its services , the mail to blogvani team was bouncing back so i knew it has closed and i stand with them in thier desicion to close blogvani <br /><br />regdsAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-1996558710821093542010-06-27T19:05:07.462-07:002010-06-27T19:05:07.462-07:00... संभवत: कुछ --- तो अभी भी मुफ़्त के लड्डू खाने क...... संभवत: कुछ --- तो अभी भी मुफ़्त के लड्डू खाने की फ़िराक में समर्थन में खडे हैं ... <br /><br />... हां एक कहावत और सुनी हुई है कि ... "भिखारियों को भीख में मिली हुई "खोटी चवन्नी" भी असली लगती है" ...!!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-43527714844471906742010-06-27T18:51:17.192-07:002010-06-27T18:51:17.192-07:00... कुछ --- को घी के मुफ़्त के लड्डू हजम हो रहे थे ...... कुछ --- को घी के मुफ़्त के लड्डू हजम हो रहे थे इसलिये ब्लागवाणी के अनियमित व अव्यवहारिक सिस्टम को समर्थन कर रहे थे...<br /><br />... यदि ब्लागवाणी अपने पसंद/नापसंद के अनियमित व अव्यवहारिक सिस्टम में सुधार नहीं कर पा रहा था तो उसका बंद हो जाना ब्लागजगत के लिये हितकर ही है ... !!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-10551193491292069652010-06-27T17:13:17.109-07:002010-06-27T17:13:17.109-07:00शिकायतें तो हमेशा रहेंगी ...उनसे बात करो कि फिर से...शिकायतें तो हमेशा रहेंगी ...उनसे बात करो कि फिर से विचार करें ..उनका योगदान हिंदी ब्लॉग्गिंग में अतुल्य है !!राम त्यागीhttps://www.blogger.com/profile/05351604129972671967noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-25922992876821455322010-06-27T17:02:32.379-07:002010-06-27T17:02:32.379-07:00अब तक ब्लोगवाणी के फिर से जीवंत होने का इन्तजार था...अब तक ब्लोगवाणी के फिर से जीवंत होने का इन्तजार था ..<br />शिकवे- शिकायतों से घबरा कर छोड़ जाना ठीक हो तो जाने कितने ब्लॉग अब तक बंद हो जाने चाहिए थे ...मगर प्रतिकूल हालात में भी टिके रहना हौसले का काम है ...<br />हो सकता है उनकी प्राथमिकतायें कुछ और हों ...मगर ब्लौगवाणी का इस तरह बंद होना बहुत दुखद है ..वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-39015568074136002152010-06-27T16:35:03.910-07:002010-06-27T16:35:03.910-07:00हम मुफ्तखोरी की प्रवृत्ति भी त्यागें ......हम मुफ्तखोरी की प्रवृत्ति भी त्यागें ......Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.com