tag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post1582080276788175920..comments2023-11-05T03:16:15.891-08:00Comments on मैख़ाना: हिंदी सभा (जापान) का ऐतिहासिक अधिवेशन सम्पन्नमुनीश ( munish )http://www.blogger.com/profile/07300989830553584918noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-11947290796922244522012-01-26T17:35:30.253-08:002012-01-26T17:35:30.253-08:00जी हाँ सही कहा आपने । आपकी बात मैं समझ रहा हूँ । अ...जी हाँ सही कहा आपने । आपकी बात मैं समझ रहा हूँ । अनुरोध यही है कि ये सिलसिला चालू रखिए ।मुनीश ( munish )https://www.blogger.com/profile/07300989830553584918noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-83712125291095250652012-01-25T21:44:04.690-08:002012-01-25T21:44:04.690-08:00@मुनीश-यूनिवर्सिटी में लग गई बड़ी 'ई' की मा...@मुनीश-यूनिवर्सिटी में लग गई बड़ी 'ई' की मात्रा से लोगों की उच्चारण की गलती उजागर करना मेरा आशय नहीं था . यह तो मेरी तरफ से ही हो पड़ा . वैसे अक्सर अंग्रेज़ी शब्दों का बिलकुल सटीक उच्चारण देवनागरी लिपि में संभव नहीं होता .यह तो अनुभव की बात होती है . मैं तो यह बताना चाह रहा था कि हिन्दी बोलचाल में प्रचलित इस अंग्रेज़ी शब्द के प्रायः इस्तेमाल पर रोमानी बाला को ऐतराज़ था . उनका कहना था कि जब उसे आसानी से हिन्दी में बोला जा सकता है तब फिर अंग्रेज़ी क्यूँ !Sharad Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/10809855451694883004noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-64706564915569495152012-01-23T16:40:05.836-08:002012-01-23T16:40:05.836-08:00धन्यवाद आपका भीधन्यवाद आपका भीमुनीश ( munish )https://www.blogger.com/profile/07300989830553584918noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-78743967124586358862012-01-23T16:37:01.804-08:002012-01-23T16:37:01.804-08:00धन्यवाद अनुराग जी आपके बारे में जानकर भी अच्छा लग ...धन्यवाद अनुराग जी आपके बारे में जानकर भी अच्छा लग रहा है मेरे मित्रों को।मुनीश ( munish )https://www.blogger.com/profile/07300989830553584918noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-18925304963910001042012-01-23T03:22:48.180-08:002012-01-23T03:22:48.180-08:00Munish Jee,
Bahut aabhar is laghu-prayaas ko apne...Munish Jee,<br /><br />Bahut aabhar is laghu-prayaas ko apne bahuaayami blog me sthan dene ke liye !! 'Hindi Sabha' Japan aapke margdarshan se labhanvit hoti rahe, isi aakanksha ke saath,<br /><br />AkhileshAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-27272242004882596462012-01-22T19:40:08.918-08:002012-01-22T19:40:08.918-08:00तोक्यो हिन्दी सभा के बार में जानकर अच्छा लगा। परिच...तोक्यो हिन्दी सभा के बार में जानकर अच्छा लगा। परिचय व चित्रों के लिये आभार!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-29888990125550124122012-01-22T16:00:46.068-08:002012-01-22T16:00:46.068-08:00यूनिवर्सिटी बोलें तो भी ठीक है शरद भाई लेकिन बात ह...यूनिवर्सिटी बोलें तो भी ठीक है शरद भाई लेकिन बात है वृत्ति की । अब आप ही देखिए 104 साल हो गए यहाँ हिन्दी पढ़ाई जा रही है लेकिन कब उसे मीडिया ने उभारा । तो ऐसे में कैसे जागे आत्मगौरव।मुनीश ( munish )https://www.blogger.com/profile/07300989830553584918noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-63086972612833903182012-01-22T08:31:23.489-08:002012-01-22T08:31:23.489-08:00कुछ वर्ष पूर्व रोमानिया से दिल्ली आकर हिन्दी का अध...कुछ वर्ष पूर्व रोमानिया से दिल्ली आकर हिन्दी का अध्ययन कर रही एक लड़की को कहते सुना था कि उसे हिंदी भाषी भारतीयों की ये बात पसंद नहीं कि वे अक्सर हिन्दी शब्दों की जगह अंग्रेज़ी शब्दों का बिलावजह इस्तेमाल करते हैं मसलन विश्वविद्यालय की जगह यूनीवर्सिटी बोलते हैं.मुझे लगता है हमारे यहाँ हिन्दी तो बोली जाती है मगर अपनी भाषा के गौरव का अहसास नहीं है.अपनी भाषा के महत्त्व की अनुभूति नहीं है.Sharad Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/10809855451694883004noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-35419193116754939552012-01-22T07:39:35.650-08:002012-01-22T07:39:35.650-08:00शुक्रिया साझेदारी के लिए शरद भाई । यहाँ हिन्दी 104...शुक्रिया साझेदारी के लिए शरद भाई । यहाँ हिन्दी 104 साल से पढ़ाई जा रही है लेकिन कितने भारतीय जानते हैं इस बारे में क्योंकि सारा समाज यूरोपोन्मुखी हो चुका है । धन्यवाद आपके प्रोत्साहन के लिए।मुनीश ( munish )https://www.blogger.com/profile/07300989830553584918noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8870591969354809.post-91636747552876015302012-01-22T05:55:55.505-08:002012-01-22T05:55:55.505-08:00इस अच्छी जानकारी के लिए बहुत बधाई मुनीश भाई . एक ...इस अच्छी जानकारी के लिए बहुत बधाई मुनीश भाई . एक हिन्दी भाषी होने के नाते हिन्दी से जुड़ी ऎसी खबरें निस्संदेह आनंदित करती हैं . मगर खेद इस बात का है कि हिंदी उन अखाड़ेबाज़ों के चंगुल में फँसी हुई है जो हिन्दी का खाते हैं . इसी के नाम पर अपनी दूकानदारी चलाते हैं . दुःख के साथ कहना पड़ता है कि हिन्दी की उन्नति की तथाकथित लड़ाई ढकोसलेबाज़ ही ज़्यादातर लड़ते दीखते हैं . और विदेशों में जब कोई हिन्दी से जुड़े सम्मलेन होते हैं तो उनमें शिरकत का टिकट पाने में भी ऐसों के बीच ही होड़ होती है . अगर आप गौर करें तो पिछले कुछ वर्षों में हिन्दी को लोकप्रिय बनाने का काम मुख्यतः बाज़ार ने ही किया है . इसमें कोई बुराई नहीं मगर बाज़ार फिर उसे अपने हिसाब से ही चलाएगा . बेशक अंग्रेज़ी को भी बाज़ार ने ही बहुत आगे बढ़ाया है मगर इसमें भी कोई शक नहीं के बाज़ार के व्यापारियों से कई गुना क़द्दावर अंग्रेज़ी भाषा के साधक और पोषक रहे हैं . इसीलिए हिन्दी के बाज़ार की बहती गंगा में हाथ धोने उतरी पेंगुइन जैसी कम्पनी भारत में संगोष्ठी करती है तो उसका शीर्षक रखती है "हिन्दी बदलेगी तो चलेगी" . यानी हिन्दी की नियति के ये दलाल निर्धारित करेंगे की वह कैसे चलेगी . क्या किसी अंग्रेज़ी मुल्क में ( या भारत में ही) ये अंग्रेज़ी को बदलने की बात करते हैं ? वैसे भी अंग्रेज़ी में ज़रा भी गलती करने वाला भारतीय उपहास का पात्र बन जाता है जबकि किसी अंग्रेज़ीदां का हिन्दी का अल्पज्ञान उसे आदर का पात्र बनाता है.सच तो ये है कि कोई भी भाषा चलते-चलते अपने में आवश्यकतानुसार परिवर्तन लाती रहती है बशर्ते कि उसे चाहने वाले समाज में हों .Sharad Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/10809855451694883004noreply@blogger.com