Thursday 5 February 2009

मयखाने में कार बाज़ार

गए सितम्बर में जब मेरी मारुती ८०० ने अपना १५वअँ जनम- दिन मना लिया और उसके फिटनेस सर्टिफिकट की दरकार हुई तो बजाये महकमा ट्रांसपोर्ट के दफ्तर चक्कर काटने के मैंने कोई दूसरी गाड़ी ,नई -पुरानी जैसी भी, खरीदने का मन बना लिया । मैं समझता हूँ के गाड़ी मैंने खूब चलाई थी मगर उसके अच्छे -बुरे तकनीकी पहलुओं पै कभी किसी बहस में मैं शामिल न रहा और न ही ९३'मॉडल की उस सीधी-सच्ची ईमानदार गाड़ी ने ऐसा कोई मौक़ा दिया । बस तेल भरो और चलती जाती थी । कभी कोई दिक्कत आई भी तो नुक्कड़ वाले सरदार हरप्रीत जी उसके कान उमेठ ज़रा तेल -पानी कर दिया करते थे और बस अगले दिन हम कसौली के होटल अल-एशिया या शिमले के गली-कूचों में जौ के पानी से गला तर करते पाए जाते ! बहरहाल अब मसला दूसरा था सो मैंने मिकैनिक सरदार जी , यार-दोस्तो और गाड़ियों की वेब साइटों का रुख किया ये जानने के लिए के तीन एक लाख में कौनसी गाड़ी मिल जायेगी ! मुझे उम्मीद थी के इतने में कोई ज़ियादा चोइस की गुंजाईश न होगी और मामला जल्द सेट हो जाएगा . लेकिन मसला इतना पेचीदा था के फ़ैसला करने में गालिबन ५ महीना का वक़्त लगा । मेरे आगे थी वही रामप्यारी , कजरारी maruti800 और अबके इसमें LPG का मॉडल भी था और शाना ब-शाना सजी थीं Alto और एस्टिलो,पुरानी जेन और एस्टीम चालू एसी के साथ इतरा रही थीं ,बाएं थी ह्युंदै की नई मगर एसी के बगैर सांत्रो , कुछ पुरानी गेट्ज़ और एक्सेंट और दायें थी एसी सहित मगर पॉवर स्टीरिंग रहित शेवरोले स्पार्क ! पीछे से ओपेल कोरसा के सस्ते मोडल्स का ''खींचे था मुझे कुफ्र ''! कारवाले.कॉम , कार tradeindia.कॉम ,जिग्व्हील्स और बेशुमार ऐसी वेब साईट कह रहीं थीं के मन्दे बाज़ार का फायदा लेकर भारी discount का फायदा उठाने का यही वक़्त है और ज़यादातर कार डीलर कमीने हैं सो पुरानी के चक्कर में न पड़ें! सो सलाह पे अमल करते हुए अपनी मासूम जेब के मुताबिक सुजुकी की एस्टिलो मुझे भा गई मगर दोस्त कहने लगे के भाई ये तो बड़ी फेमिनिन लुक वाली गाड़ी है । अब तक तो मैं यही सुनता था के ट्रक होता है और कार होती है मगर कार बाज़ार में भी लिंग भेद है ये अब जाना । सुजुकी वाले अपनी एक गाड़ी को ख़ुद ''कारों में मर्द '' बता रहे हैं , बहरहाल इस चुतियापे का शिकार हुए बगैर मैं एस्टिलो ले आया । कार बाज़ार के माहिर उस्ताद बताते हैं के जापान में एम आर वेगन नाम से जो गाड़ी चलती है उसी का इंजन इसमे लगा है और वेगन आर में भी यही है । अभी तक दिल्ली से मथुरा और चंडीगढ़ का सफर इसमे अच्छा रहा है , अब यू के जाना चाहता हूँ । यू के माने उत्तराखंड ,कोई उज्र न हो तो!

6 comments:

  1. भईया कभी समय मिले तो बरेली भी आना इसी गाड़ी से। आपका स्वागत है।

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  2. lo jee neki aur aooch-pooch ! ZUROOOOOOOOOR bhai!!

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  3. सवारी तो खिलाई ना और एस्टिलो एस्टिलो लगाए भए हैं. अपने साथ क्वाटर भी ना लाए. का बाबू? उप्पर से वो मरूत्ती निकाल दी जिसे आप के पोते बेचते एकाध अरब रुपों में.

    जय हो.

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  4. मुनीशजी,आपने कम से कम फ़ैसला ले तो लिया...हम तो अभी भी जाके लौट आए हैं बस इतना है कि हमने नया हेलमेट ले लिया है...देखें नई कार कब पसन्द आती है.

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  5. एस्टिलो बढ़िया कार है...देखने में भी और चलने में भी...आपने सही चुनाव किया है...बधाई...
    नीरज

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  6. Dear friends it is true that Estilo is a nice car ,but its bonnet is so small that it is not visible from driving seat even though it is THERE so itz a strict no-no for those first buyers who want to drive it as well .

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